अस्त्र जिन्होंने बदला युद्ध का इतिहास
जब त्रेता युग में भगवान राम ने शिव धनुष तोड़ा था, तब शायद किसी को अंदाज़ा नहीं था कि धनुष हिंदू पौराणिक कथाओं में कितना महत्वपूर्ण स्थान रखेंगे। महाभारत काल तक आते-आते विभिन्न दिव्य धनुषों ने वीरों के हाथों में अपनी विशेष पहचान बना ली थी। क्या आपने कभी सोचा है कि अर्जुन का गांडीव धनुष इतना विशेष क्यों था? या फिर कर्ण के पास कौन सा दिव्य धनुष था जिसने उन्हें अर्जुन के समकक्ष बना दिया?
आज हम आपको महाभारत में उल्लिखित सभी प्रमुख दिव्य धनुषों के बारे में विस्तार से बताएंगे। ये धनुष केवल युद्ध के हथियार नहीं थे, बल्कि देवताओं के वरदान से बने ऐसे दिव्यास्त्र थे जिन्होंने महाभारत के युद्ध का परिणाम ही बदल दिया।
महाभारत युग के प्रमुख दिव्य धनुष
1. गांडीव धनुष – अर्जुन का अमोघ अस्त्र
महाभारत के सबसे प्रसिद्ध धनुषों में से एक गांडीव धनुष था, जो पांडवों में से तीसरे भाई अर्जुन के पास था। इस धनुष की एक रोचक कथा है:
गांडीव धनुष का इतिहास
गांडीव धनुष को स्वयं ब्रह्मा जी ने बनाया था। ब्रह्मा जी ने इसे प्रजापति सोम को दिया, सोम से यह वरुण देव के पास पहुंचा, और वरुण से अग्नि देव को मिला। खांडव वन दहन के समय अग्नि देव ने इसे अर्जुन को प्रदान किया था।
गांडीव की विशेषताएं
- गांडीव धनुष की प्रत्यंचा (डोरी) कभी नहीं टूटती थी
- इससे छोड़े गए बाण कभी व्यर्थ नहीं जाते थे
- इसमें अनेक दिव्यास्त्रों को धारण करने की क्षमता थी
- इसका वजन 100 मन (लगभग 3700 किलोग्राम) था, फिर भी अर्जुन इसे आसानी से उठा लेते थे
- यह धनुष दैवीय शक्तियों से निर्मित था और इससे दिव्यास्त्र छोड़े जा सकते थे
पूरे महाभारत युद्ध में गांडीव धनुष ने अर्जुन का साथ दिया। अपने अंतिम समय में अर्जुन ने इसे वरुण देव को लौटा दिया था।
2. विजय धनुष – कर्ण का शक्तिशाली अस्त्र
कर्ण, जो सूर्यपुत्र और कुंती के प्रथम पुत्र थे, के पास विजय नामक दिव्य धनुष था। यह धनुष भी अत्यंत शक्तिशाली था:
विजय धनुष का इतिहास
विजय धनुष परशुराम द्वारा कर्ण को दिया गया था, जब उन्होंने परशुराम से धनुर्विद्या सीखी थी। कहा जाता है कि इसे स्वयं विश्वकर्मा ने बनाया था।
विजय की विशेषताएं
- यह धनुष विष्णु जी के शारंग धनुष का अनुरूप था
- विजय धनुष से छोड़े गए बाण तेज़ी से लक्ष्य तक पहुंचते थे
- इसमें कई दिव्यास्त्रों को प्रयोग करने की क्षमता थी
- यह लगभग अभेद्य था और इसकी प्रत्यंचा अत्यंत मजबूत थी
कर्ण ने कई महत्वपूर्ण युद्धों में इस धनुष का प्रयोग किया था, विशेष रूप से अर्जुन के साथ हुए युद्धों में।

3. शार्ङ्ग धनुष – कृष्ण का दिव्य अस्त्र
भगवान कृष्ण के पास शार्ङ्ग (शारंग) नामक दिव्य धनुष था, जो महाभारत के कई प्रसंगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
शार्ङ्ग धनुष का इतिहास
शार्ङ्ग धनुष समुद्र मंथन के दौरान निकला था और विष्णु भगवान के पास रहता था। कृष्ण विष्णु के अवतार होने के कारण यह धनुष उनके पास था।
शार्ङ्ग की विशेषताएं
- यह सागर से प्राप्त हुआ अत्यंत दुर्लभ धनुष था
- इससे छोड़े गए बाण अचूक थे और कभी लक्ष्य से नहीं चूकते थे
- इसमें अनेक दिव्यास्त्रों को धारण करने की क्षमता थी
- कहा जाता है कि यह वही धनुष था जिसका उपयोग भगवान राम ने अपने अवतार में किया था
कृष्ण ने महाभारत में कई अवसरों पर इस धनुष का प्रयोग किया, विशेष रूप से जरासंध और शिशुपाल जैसे शत्रुओं के विरुद्ध।
4. पिनाक धनुष – द्रोणाचार्य का धनुष
गुरु द्रोणाचार्य के पास पिनाक नामक एक विशेष धनुष था। यह कोई साधारण धनुष नहीं था, बल्कि इसका विशेष महत्व था:
पिनाक धनुष का इतिहास
पिनाक मूल रूप से भगवान शिव का धनुष है। द्रोणाचार्य ने कठोर तपस्या करके शिव से इसका एक अंश प्राप्त किया था।
पिनाक की विशेषताएं
- पिनाक शिव जी के समान ही रुद्र शक्ति से संपन्न था
- इससे ब्रह्मास्त्र और अन्य दिव्यास्त्र प्रयोग किए जा सकते थे
- इसकी शक्ति द्रोणाचार्य को अजेय बनाती थी
- युद्ध के दौरान इससे अनेक दिव्य बाण छोड़े जा सकते थे
द्रोणाचार्य ने कुरुक्षेत्र युद्ध में इस धनुष का प्रयोग करके कई योद्धाओं को परास्त किया था।

5. कोदंड धनुष – अश्वत्थामा का धनुष
द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के पास कोदंड नामक धनुष था, जो कई मायनों में विशेष था:
कोदंड धनुष का इतिहास
कहा जाता है कि यह धनुष भगवान परशुराम द्वारा अश्वत्थामा को दिया गया था, जब उन्होंने उनसे धनुर्विद्या सीखी थी।
कोदंड की विशेषताएं
- कोदंड धनुष से निकले बाण आकाश में बिजली की तरह चमकते थे
- यह धनुष ब्रह्मास्त्र जैसे विनाशकारी अस्त्रों का वहन कर सकता था
- इसकी प्रत्यंचा का स्वर भयंकर होता था
- युद्ध में इससे छोड़े गए बाण बहुत तेजी से लक्ष्य को भेद देते थे
अश्वत्थामा ने महाभारत युद्ध में और उसके बाद पांडव पुत्रों के विरुद्ध इस धनुष का उपयोग किया था।
6. अजगव धनुष – भीष्म पितामह का धनुष
गंगापुत्र भीष्म के पास अजगव नामक दिव्य धनुष था, जो अत्यंत प्राचीन और शक्तिशाली था:
अजगव धनुष का इतिहास
अजगव धनुष वरुण देवता द्वारा भीष्म के पिता शांतनु को दिया गया था, जिसे बाद में भीष्म ने प्राप्त किया।
अजगव की विशेषताएं
- यह धनुष अत्यंत कठोर था और इसे चलाने के लिए असाधारण बल की आवश्यकता होती थी
- इससे दिव्य बाणों का प्रयोग किया जा सकता था
- इसकी प्रत्यंचा का स्वर गरज के समान होता था
- वरुण देव के आशीर्वाद से इसमें जल तत्व की शक्ति भी थी
भीष्म ने कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान इस धनुष से पांडव सेना को बहुत क्षति पहुंचाई थी।

7. शरासन धनुष – दुर्योधन का धनुष
कौरवों के राजा दुर्योधन के पास शरासन नामक प्रसिद्ध धनुष था:
शरासन धनुष का इतिहास
शरासन धनुष गांधार देश से प्राप्त किया गया था और इसे कुबेर ने स्वयं आशीर्वाद दिया था।
शरासन की विशेषताएं
- यह धनुष स्वर्ण से निर्मित था और अत्यंत चमकदार था
- इसकी प्रत्यंचा अतिशय मजबूत थी
- इससे निकले बाण सर्पों के समान घुमावदार पथ पर चलते थे
- इससे अनेक दिव्यास्त्रों को छोड़ा जा सकता था
दुर्योधन ने कुरुक्षेत्र युद्ध में इस धनुष का उपयोग करके कई वीरों को घायल किया था।
8. वैजयंती धनुष – युधिष्ठिर का धनुष
पांडवों के बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठिर के पास वैजयंती नामक धनुष था:
वैजयंती धनुष का इतिहास
वैजयंती धनुष इंद्र देव द्वारा युधिष्ठिर को प्रदान किया गया था, जब वे स्वर्ग भ्रमण पर गए थे।
वैजयंती की विशेषताएं
- इस धनुष से छोड़े गए बाण धर्म की रक्षा करते थे और अधर्मियों का नाश करते थे
- इसकी प्रत्यंचा कभी शिथिल नहीं होती थी
- यह धनुष हल्का था लेकिन अत्यंत शक्तिशाली था
- इससे धर्म रक्षक दिव्यास्त्रों का प्रयोग किया जा सकता था
युधिष्ठिर अपने धर्मयुद्ध में इस धनुष का उपयोग करते थे।

9. वायव्य धनुष – भीम का धनुष
पांडवों में दूसरे भाई भीमसेन के पास वायव्य नामक विशेष धनुष था:
वायव्य धनुष का इतिहास
वायव्य धनुष वायु देवता द्वारा भीम को प्रदान किया गया था, क्योंकि भीम वायु पुत्र हनुमान के भाई थे।
वायव्य की विशेषताएं
- यह धनुष हवा की गति से बाण छोड़ता था
- इसकी प्रत्यंचा से निकलने वाली आवाज़ तूफान जैसी होती थी
- इससे छोड़े गए बाण चक्रवात की तरह घूमते हुए शत्रु पर प्रहार करते थे
- इसमें वायु तत्व की शक्ति थी
भीम ने महाभारत युद्ध में इस धनुष का उपयोग करके अनेक कौरव सैनिकों का संहार किया था।
10. आग्नेय धनुष – नकुल और सहदेव का धनुष
पांडव पुत्र नकुल और सहदेव के पास आग्नेय नामक समान धनुष थे:
आग्नेय धनुष का इतिहास
ये धनुष अश्विनी कुमारों द्वारा अपने पुत्रों नकुल और सहदेव को दिए गए थे।
आग्नेय की विशेषताएं
- इन धनुषों से निकले बाण अग्नि के समान प्रज्वलित होते थे
- ये धनुष हल्के थे और इन्हें तेजी से घुमाया जा सकता था
- इनसे छोड़े गए बाण चिकित्सा के गुणों से युक्त होते थे और वे चाहें तो मित्र को बचा सकते थे
- इन धनुषों में चिकित्सा विद्या के तत्व भी थे
नकुल और सहदेव ने इन धनुषों का उपयोग करके युद्ध में अपना योगदान दिया था।

दिव्य धनुषों का महत्व महाभारत में
महाभारत में वर्णित ये दिव्य धनुष केवल युद्ध के औजार नहीं थे, बल्कि इनका गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी था:
धनुष और धनुर्धारियों का संबंध
प्राचीन भारतीय परंपरा में धनुष को धनुर्धारी के चरित्र और शक्ति का प्रतीक माना जाता था। महाभारत में प्रत्येक महान योद्धा के पास एक विशिष्ट धनुष था जो उसके व्यक्तित्व और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता था।
उदाहरण के लिए, अर्जुन का गांडीव धनुष उनकी अद्वितीय धनुर्विद्या और कौशल का प्रतीक था। वहीं कर्ण का विजय धनुष उनके संघर्षपूर्ण जीवन और अदम्य साहस का प्रतिनिधित्व करता था।
दिव्य धनुषों का धार्मिक महत्व
इन धनुषों को देवताओं के वरदान के रूप में माना जाता था। प्रत्येक धनुष किसी न किसी देवता से संबद्ध था और उसमें उस देवता की शक्ति का एक अंश सन्निहित था:
- गांडीव धनुष – ब्रह्मा, वरुण और अग्नि से जुड़ा
- पिनाक धनुष – शिव से जुड़ा
- शार्ङ्ग धनुष – विष्णु से जुड़ा
- वैजयंती धनुष – इंद्र से जुड़ा
इन धनुषों का प्रयोग धार्मिक रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों में भी किया जाता था।
दिव्य धनुषों का राजनीतिक महत्व
महाभारत काल में इन दिव्य धनुषों का राजनीतिक महत्व भी था। किसी राजा के पास कितने शक्तिशाली धनुर्धारी और दिव्य धनुष हैं, यह उसकी शक्ति का प्रतीक माना जाता था।
कौरवों और पांडवों के बीच की लड़ाई में भी इन दिव्य धनुषों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महाभारत युद्ध में किसके पास कौन सा दिव्य धनुष था, यह युद्ध के परिणाम को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक था।
महाभारत युद्ध में धनुषों की भूमिका
कुरुक्षेत्र के महायुद्ध में इन दिव्य धनुषों ने निर्णायक भूमिका निभाई थी:
युद्ध के निर्णायक क्षण
महाभारत युद्ध के कई निर्णायक क्षणों में इन धनुषों का महत्वपूर्ण योगदान था:
- जयद्रथ वध: अर्जुन ने गांडीव धनुष से सूर्यास्त से पहले जयद्रथ का वध किया।
- भीष्म पतन: अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष से शिखंडी के पीछे से बाण चलाकर भीष्म पितामह को शरशैया पर लिटा दिया।
- कर्ण वध: अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष से कर्ण का अंत किया, जब कर्ण का रथ फंस गया था।
- दुर्योधन का अंत: युधिष्ठिर के वैजयंती धनुष से छोड़े गए बाणों ने दुर्योधन को घायल किया, जिससे भीम के गदायुद्ध में उनकी हार हुई।

धनुष से जुड़े चमत्कार और अलौकिक घटनाएं
महाभारत में इन दिव्य धनुषों से जुड़े कई चमत्कार और अलौकिक घटनाओं का वर्णन मिलता है:
- गांडीव की अद्भुत ध्वनि: जब अर्जुन गांडीव की प्रत्यंचा खींचते थे तो उसकी ध्वनि तीनों लोकों में सुनाई देती थी और शत्रुओं के हृदय में भय उत्पन्न करती थी।
- शार्ङ्ग से निकली अग्नि: कृष्ण ने जब शार्ङ्ग धनुष से बाण छोड़े तो उससे ऐसी अग्नि निकली जो पूरे आकाश को प्रकाशित कर देती थी।
- पिनाक से ब्रह्मास्त्र: द्रोणाचार्य जब पिनाक धनुष से ब्रह्मास्त्र छोड़ते थे तो आकाश में देवताओं के विमान दिखाई देते थे।
निष्कर्ष: धनुष जो इतिहास के पन्नों में अमर हो गए
महाभारत में वर्णित ये दिव्य धनुष हमारी सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत का अनमोल हिस्सा हैं। ये केवल युद्ध के हथियार नहीं थे, बल्कि धर्म, न्याय और शक्ति के प्रतीक थे। प्रत्येक धनुष अपने धारक की विशिष्ट शक्ति और गुणों का प्रतिनिधित्व करता था।
आज भी हम इन दिव्य धनुषों से प्रेरणा ले सकते हैं। जैसे धनुष अपने धारक की शक्ति और कौशल को बढ़ाता है, वैसे ही हमें भी अपने जीवन में ऐसे उपकरणों और विद्याओं का चयन करना चाहिए जो हमारी क्षमताओं को बढ़ाएं और हमारे लक्ष्यों तक पहुंचने में सहायता करें।
महाभारत के इन दिव्य धनुषों की कथाएं हमें यह सिखाती हैं कि सच्ची शक्ति केवल हथियारों में नहीं, बल्कि उनके उपयोग के पीछे के उद्देश्य और मूल्यों में निहित होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. महाभारत में सबसे शक्तिशाली धनुष कौन सा था?
महाभारत में सबसे शक्तिशाली धनुष गांडीव माना जाता है, जो अर्जुन के पास था। इसे स्वयं ब्रह्मा जी ने बनाया था और इसका वजन 100 मन था। इससे छोड़े गए बाण कभी विफल नहीं होते थे और इसमें अनेक दिव्यास्त्रों को धारण करने की क्षमता थी।
2. कर्ण के पास कौन सा दिव्य धनुष था?
कर्ण के पास विजय नामक दिव्य धनुष था, जो उन्हें गुरु परशुराम से प्राप्त हुआ था। यह धनुष विष्णु के शारंग धनुष का अनुरूप था और अत्यंत शक्तिशाली था।

3. भगवान श्री कृष्ण के धनुष का क्या नाम था?
भगवान श्री कृष्ण के धनुष का नाम शार्ङ्ग (शारंग) था। यह समुद्र मंथन के दौरान निकला था और विष्णु भगवान के अवतार होने के कारण कृष्ण के पास था।
4. भीष्म पितामह के धनुष का क्या नाम था?
भीष्म पितामह के धनुष का नाम अजगव था, जो वरुण देवता द्वारा उनके पिता शांतनु को दिया गया था और बाद में भीष्म के पास आया।
5. द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा के पास कौन से धनुष थे?
द्रोणाचार्य के पास पिनाक नामक धनुष था, जो मूल रूप से शिव का धनुष था। अश्वत्थामा के पास कोदंड नामक धनुष था, जो उन्हें परशुराम से प्राप्त हुआ था।
6. क्या महाभारत में वर्णित सभी धनुष दिव्य शक्तियों से युक्त थे?
हां, महाभारत में वर्णित प्रमुख धनुष किसी न किसी देवता से संबद्ध थे और दिव्य शक्तियों से युक्त थे। इनमें से अधिकांश देवताओं द्वारा वीरों को प्रदान किए गए थे।
7. महाभारत युद्ध के बाद इन धनुषों का क्या हुआ?
महाभारत युद्ध के बाद अधिकांश धनुष उनके मूल स्वामियों (देवताओं) को लौटा दिए गए। जैसे, अर्जुन ने गांडीव धनुष को वरुण देव को लौटा दिया था। कुछ धनुष युद्ध में नष्ट हो गए और कुछ अन्य लोक में अदृश्य हो गए।