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भस्मासुर की कथा | महादेव को क्यों भागना पड़ा | मोहिनी रूप का रहस्य

जब स्वयं महादेव को भागना पड़ा!

कल्पना कीजिए कि त्रिलोकीनाथ भगवान शिव, जो काल के भी काल महाकाल हैं, स्वयं किसी से भागने को मजबूर हो जाएं! यह कोई कल्पना नहीं बल्कि हिंदू पुराणों में वर्णित एक सत्य घटना है। यह कथा है भस्मासुर की, जिसने अपनी तपस्या से स्वयं शिवजी को वरदान देने के लिए विवश किया, और फिर उसी वरदान का दुरुपयोग करके महादेव को मारने का प्रयास किया। आखिर क्यों भगवान विष्णु को मोहिनी रूप धारण करना पड़ा? कैसे एक राक्षस के कारण देवाधिदेव महादेव को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा? आइए जानते हैं इस रोमांचक और शिक्षाप्रद कथा को विस्तार से।


भस्मासुर कौन था? – एक राक्षस की उत्पत्ति

भस्मासुर एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस था जिसका वास्तविक नाम वृकासुर था। स्कंद पुराण और शिव पुराण के अनुसार, यह दैत्यराज हिरण्यकशिपु का वंशज था। भस्मासुर का जन्म राक्षस कुल में हुआ था, लेकिन उसमें अपार तपस्या की शक्ति थी।

भस्मासुर की विशेषताएं:

  • नाम का अर्थ: भस्म (राख) + असुर = वह राक्षस जो सब कुछ भस्म कर देता है
  • शारीरिक शक्ति: अत्यधिक बलशाली और विशालकाय
  • मानसिक क्षमता: तीव्र बुद्धि और धूर्तता से भरपूर
  • उद्देश्य: तीनों लोकों पर अधिकार प्राप्त करना

भस्मासुर की कठोर तपस्या – शिवजी को प्रसन्न करने का संकल्प

भस्मासुर जानता था कि बिना दैवीय शक्ति के वह तीनों लोकों पर विजय नहीं पा सकता। इसलिए उसने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने का निर्णय लिया।

तपस्या की विधि और कष्ट:

स्थान: हिमालय की गुफाओं में, जहां शिवजी का निवास था अवधि: हजारों वर्षों तक निरंतर तपस्या नियम:

  • केवल हवा पीकर जीवित रहना
  • एक पैर पर खड़े होकर तपस्या
  • सिर के बाल नोचना और शरीर को घावों से भरना
  • मानसिक एकाग्रता से केवल “ओम नमः शिवाय” का जाप

पुराणों में वर्णित तथ्य: भस्मासुर की तपस्या इतनी प्रबल थी कि उसके शरीर से निकलने वाली तपस्या की अग्नि से पूरा हिमालय पर्वत गर्म हो गया था।


भस्मासुर-राक्षस-कौन-था

महादेव का प्रकट होना और वरदान की मांग

भस्मासुर की अटूट तपस्या से प्रभावित होकर अंततः भगवान शिव उसके सामने प्रकट हुए। त्रिशूल धारी महादेव ने प्रसन्न होकर कहा:

“वत्स! मैं तेरी तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हूं। मांग, क्या चाहिए तुझे?”

भस्मासुर की धूर्तता भरी मांग:

भस्मासुर ने तुरंत अपनी योजना के अनुसार वरदान मांगा:

“हे महादेव! मुझे यह वरदान दें कि मैं जिसके भी सिर पर हाथ रखूं, वह तुरंत भस्म हो जाए!”

शिवजी की दुविधा:

भगवान शिव को तुरंत समझ आ गया कि यह वरदान कितना खतरनाक हो सकता है। लेकिन वचनबद्ध होने के कारण और अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए उन्होंने यह वरदान देने का निर्णय लिया।


भस्मासुर का विश्वासघात – महादेव पर ही आक्रमण!

वरदान मिलते ही भस्मासुर का असली रूप सामने आया। उसने तुरंत भगवान शिव की ओर अपना हाथ बढ़ाया और कहा:

“हे शंकर! अब मैं सबसे पहले आपको ही भस्म करूंगा! फिर देवी पार्वती को अपनी पत्नी बनाऊंगा और तीनों लोकों का राजा बनूंगा!”

महादेव के भागने का कारण:

  1. अपना ही दिया वरदान: शिवजी अपने ही वरदान के कारण असहाय थे
  2. सत्यवादिता: झूठ बोलकर वरदान वापस नहीं ले सकते थे
  3. धर्म की रक्षा: अधर्मी के हाथों मरकर धर्म को हानि नहीं पहुंचाना चाहते थे

शास्त्रों में वर्णित रोमांचक पीछा:

महादेव और भस्मासुर के बीच हुई यह पीछा-पकड़ी पुराणों में बहुत विस्तार से वर्णित है। शिवजी आकाश मार्ग से भागे, भस्मासुर भी उनके पीछे दौड़ा। यह दृश्य इतना भयावह था कि सभी देवता डर गए और ब्रह्माजी के पास सहायता मांगने गए।


विष्णु भगवान का हस्तक्षेप – मोहिनी रूप धारण का कारण

जब ब्रह्माजी भी इस समस्या का समाधान नहीं कर पाए, तब सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की

विष्णु जी के मोहिनी रूप धारण के कारण:

  1. शिवजी की रक्षा: अपने मित्र और सृष्टि के कल्याणकारी की रक्षा
  2. धर्म की स्थापना: अधर्म पर धर्म की विजय
  3. सृष्टि की सुरक्षा: भस्मासुर के राज्य से सृष्टि को बचाना
  4. माया का प्रयोग: बल से नहीं, बुद्धि से समस्या का समाधान

मोहिनी रूप की विशेषताएं:

  • अनुपम सुंदरता: त्रिलोकी में सबसे सुंदर स्त्री का रूप
  • मोहक व्यक्तित्व: जिसे देखकर कोई भी मोहित हो जाए
  • नृत्य कला: अद्भुत नृत्य कला की स्वामिनी
  • माधुर्य: मीठी आवाज और आकर्षक बातचीत

मोहिनी का जादू – भस्मासुर का छलना

जब भगवान विष्णु मोहिनी के रूप में भस्मासुर के सामने प्रकट हुईं, तो वह तुरंत उनकी सुंदरता पर मोहित हो गया।

मोहिनी की चतुर योजना:

पहला चरण: भस्मासुर का ध्यान भटकाना मोहिनी ने कहा: “हे वीर! आप कितने शक्तिशाली हैं! क्या आप मुझसे विवाह करेंगे?”

दूसरा चरण: नृत्य की शर्त “लेकिन मेरी एक शर्त है। आपको मेरे नृत्य की नकल करनी होगी। जो भी मुद्रा मैं बनाऊंगी, वही आपको भी करनी होगी।”

तीसरा चरण: भस्मासुर की सहमति भस्मासुर तुरंत राजी हो गया क्योंकि वह मोहिनी की सुंदरता में पूर्णतः मोहित था।


नृत्य प्रतियोगिता – भस्मासुर का अंत

मोहिनी ने विभिन्न नृत्य मुद्राएं करनी शुरू कीं। भस्मासुर भी उनकी हर मुद्रा की नकल करता रहा।

अंतिम चाल – सिर पर हाथ:

अचानक मोहिनी ने अपने सिर पर हाथ रखा एक सुंदर नृत्य मुद्रा बनाते हुए। भस्मासुर ने भी तुरंत उसी मुद्रा की नकल करते हुए अपने सिर पर हाथ रख दिया

परिणाम:

वरदान के अनुसार भस्मासुर तुरंत भस्म हो गया! इस प्रकार उसी के वरदान से उसका नाश हो गया।


मोहिनी-अवतार-फोटो

कथा के धार्मिक और नैतिक संदेश

1. अहंकार का परिणाम:

भस्मासुर की कथा दिखाती है कि अहंकार और दुष्टता का अंत निश्चित है।

2. मित्रता की महिमा:

भगवान विष्णु और शिव की मित्रता दर्शाती है कि सच्चे मित्र मुसीबत में साथ देते हैं।

3. बुद्धि की विजय:

यह कथा सिखाती है कि बल से कहीं अधिक बुद्धि शक्तिशाली होती है।

4. कर्मफल का सिद्धांत:

भस्मासुर को अपने ही कर्म का फल मिला।


रोचक तथ्य और विशेष जानकारी

पुराणों में वर्णन:

  • शिव पुराण में यह कथा सबसे विस्तार से है
  • स्कंद पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है
  • विष्णु पुराण में मोहिनी रूप का विशेष वर्णन है

भौगोलिक संबंध:

  • भस्मासुर की तपस्या स्थली: कैलाश पर्वत के निकट
  • पीछा करने का मार्ग: स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक तक
  • मोहिनी नृत्य स्थल: समुद्र तट पर एक रमणीय स्थान

कलात्मक प्रभाव:

  • यह कथा कत्थक नृत्य में प्रसिद्ध है
  • भरतनाट्यम में मोहिनी अट्टम का आधार
  • अनेक मंदिरों की मूर्तियों में इसका चित्रण

आधुनिक संदर्भ में कथा की प्रासंगिकता

1. तकनीकी युग में संदेश:

आज के युग में यह कथा चेतावनी देती है कि गलत इरादों से प्राप्त शक्ति हमेशा विनाशकारी होती है।

2. सामाजिक शिक्षा:

यह दिखाता है कि शक्ति के दुरुपयोग का परिणाम विनाश ही होता है।

3. मानसिक स्वास्थ्य:

अहंकार और गलत इच्छाओं से बचकर संतुलित जीवन जीने की सीख।


निष्कर्ष

भस्मासुर और भगवान शिव की यह अमर कथा हमें सिखाती है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है। चाहे कितनी भी कठिनाई हो, चाहे स्वयं भगवान को ही क्यों न भागना पड़े, अंततः न्याय की जीत अवश्य होती है।

भगवान विष्णु का मोहिनी रूप धारण करना दर्शाता है कि बुद्धिमत्ता और रणनीति से हर समस्या का समाधान संभव है। यह कथा आज भी हमारे जीवन में प्रासंगिक है और हमें विनम्रता, सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. भस्मासुर का असली नाम क्या था?

उत्तर: भस्मासुर का वास्तविक नाम वृकासुर था। भस्मासुर नाम उसे बाद में मिला क्योंकि वह जिसे छूता था, वह भस्म हो जाता था।

2. भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान क्यों दिया?

उत्तर: भगवान शिव ने भस्मासुर की हजारों वर्षों की कठोर तपस्या से प्रभावित होकर वरदान दिया। वे वचनबद्ध थे और अपने भक्त की तपस्या को व्यर्थ नहीं जाने दे सकते थे।

3. मोहिनी रूप में भगवान विष्णु ने कैसे भस्मासुर को मारा?

उत्तर: मोहिनी ने नृत्य प्रतियोगिता के दौरान एक मुद्रा में अपने सिर पर हाथ रखा। भस्मासुर ने भी नकल करते हुए अपने सिर पर हाथ रखा और अपने ही वरदान से भस्म हो गया।

4. यह कथा किस पुराण में मिलती है?

उत्तर: यह कथा मुख्य रूप से शिव पुराण, स्कंद पुराण, और विष्णु पुराण में विस्तार से वर्णित है। शिव पुराण में सबसे विस्तृत वर्णन मिलता है।

5. भस्मासुर की तपस्या कितने वर्षों तक चली?

उत्तर: पुराणों के अनुसार भस्मासुर ने हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। कुछ ग्रंथों में यह अवधि 12,000 वर्ष बताई गई है।

6. क्या भगवान शिव वास्तव में डर गए थे?

उत्तर: भगवान शिव डरे नहीं थे, बल्कि वे अपने वरदान की मर्यादा का सम्मान कर रहे थे। वे चाहते थे कि धर्म के अनुकूल समाधान हो, इसलिए विष्णु जी की सहायता का इंतजार किया।

7. मोहिनी रूप के अलावा क्या कोई और समाधान था?

उत्तर: पुराणों के अनुसार बल प्रयोग से भस्मासुर को हराना संभव नहीं था क्योंकि वह शिवजी का वरदान प्राप्त व्यक्ति था। केवल माया और बुद्धि से ही उसे परास्त किया जा सकता था।

8. इस कथा का क्या नैतिक संदेश है?

उत्तर: यह कथा सिखाती है कि अहंकार और दुष्ट भावनाओं का अंत निश्चित है। बुद्धि बल से श्रेष्ठ होती है, और सत्य की हमेशा विजय होती है।


लेखक टिप्पणी: यह कथा हमारे पुराणों की अमूल्य धरोहर है जो आज भी हमें जीवन की सच्चाइयों से अवगत कराती है। इसे अपने जीवन में उतारकर हम एक बेहतर इंसान बन सकते हैं।

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