कलयुग के संकटमोचन, भक्ति और बल के प्रतीक हनुमानजी का वह अद्भुत रूप, जिसने पाताल लोक में अहिरावण का वध कर धर्म की ध्वजा फहराई! क्या आप जानते हैं कि पंचमुखी हनुमान के प्रत्येक मुख में छिपा है एक देवता का तेज, एक दिशा का संरक्षण, और एक रहस्यमयी शक्ति? आइए, जानें इस स्वरूप की अद्वितीय कथा, उसकी प्रतीकात्मकता, और वे गूढ़ रहस्य जो इसे बनाते हैं हनुमानजी का सर्वशक्तिमान अवतार!
पंचमुखी हनुमान: पांच मुखों वाला वह स्वरूप जो है शिव के पंचमुखी स्वरूप का प्रतीक
हिंदू धर्म में हनुमानजी को भगवान शिव का रुद्रावतार माना जाता है। पंचमुखी हनुमान का रूप सिर्फ एक देवीय आकृति नहीं, बल्कि शिवजी के पंचमुखी स्वरूप (तत्पुरुष, सदोजात्य, वामदेव, अघोर, और ईशान) का प्रतिबिंब है। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण अष्टमी को पुष्य नक्षत्र, सिंह लग्न और मंगलवार के दिन इस रूप ने अवतार लिया। यह स्वरूप साधक को समस्त सिद्धियाँ प्रदान करने वाला माना गया है।
अध्याय 1: पंचमुखी अवतार की रोमांचक पौराणिक कथा
रामायण का वह प्रसंग: अहिरावण का छल और हनुमान की लीला
श्री राम और रावण के युद्ध में जब मेघनाद की मृत्यु हो गई| तब रावण धैरे ना रख सका और अपनी विजय के उपाय सोचने लगा।
तब उसे अपने सहयोगी और पाताल के राक्षसराज अहिरावण की याद आई। अहिरावण मां भवानी का परम भक्त होने के साथ साथ तंत्र मंत्र का भी ज्ञाता था।
रावण सीधे देवी मंदिर में जाकर पूजा में तल्लीन हो गया। उसकी आराधना से आकृष्ट होकर अहिरावण वहाँ पहुंचा| तो रावण ने उससे कहा तुम किसी तरह राम और लक्ष्मण
को अपनी पुरी में ले आओ और वहां उनका वद कर डालो|
फिर यह वानर भालू तो अपने आप ही भाग जाएंगे| रात्री के समय जब श्रीराम की सेना शैन कर रही थी तब हनुमान जी ने अपनी पूंछ बढ़ाकर चारों ओर से सब को घेर लिया|
अहिरावण विभीषण वेश बना कर अंदर प्रवेश कर गया| अहिरावण ने सोते हुए अनंत सौंदर्य के सागर श्री राम और लक्ष्मण को देखा तो देखता ही रह गया|
उसने अपनी माया के दम पर भगवान राम की सारी सेना को निद्रा में डाल दिया और राम एवं लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया|
आकाश में तीव्र प्रकाश से सारी वानर सेना जाग गई और विभीषण ने यह पहचान लिया कि यह कार्य अहिरावण का है और उसने हनुमान जी को श्री राम और लक्ष्मण की सहायता करने के लिए पाताल लोग जाने को कहा|
मकरध्वज से मुठभेड़ और पंचमुखी रूप की अनिवार्यता

हनुमान जी पाताल लोग की पूरी जानकारी प्राप्त कर पाताल लोग पहुंचे| पाताल लोक के द्वार पर उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिला|
हनुमान जी ने आश्चर्य चकित होकर कहा हनुमान जी तो बाल ब्रह्मचारी है| तुम उसके पुत्र कैसे|
मकरध्वज ने कहा कि जब लंका दहन के बाद जब आप, समुद्र में अपनी पूंछ को बुझा कर स्नान कर रहे थे| तब श्रम के कारण आपकी शरीर से पसीना झर रहा था|
जिसे एक मछली ने पी लिया और जब उस मछली को पकड़ कर,अहिरावन की रसोई में लाई गई और उसे काटा गया अब मेरा जन्म हुआ|
अहिरावण ने ही मेरा पालन पोषण किया इसलिए मैं उसके नगर की रक्षा करता हूँ| हनुमान जी का मकरध्वज से बाहु युद्ध हुआ और हनुमान जी मकरध्वज बांध कर देवी मंदिर पहुंचे|
जहां श्री राम और लक्ष्मण की बलि दी जानी थी| हनुमान जी के आग्रह करने पर देवी अदृश्य हो गई और उनकी जगह स्वयं हनुमान जी देवी के रूप में खड़े हो गए|
उसी समय श्री राम जी ने लक्ष्मण से कहा| आपत्ति के समय सभी प्राणी मेरा स्मरण करते हैं| किन्तु मेरी आपदाओं को दूर करने वाले तो केवल पवन पुत्र केवल हनुमान जी है|
अतेह हम उन्ही का स्मरण करें| लक्ष्मण जी ने कहा यहां हनुमान कंहा पर है, श्रीराम ने कहा, पवन पुत्र कंहा नहीं है|
वे तो पृथ्वी के कण कण में विद्यमान हैं| मुझे तो देवी रूप में भी उन्ही के दर्शन हो रहे हैं।
हनुमान जी ने पाताल लोक पाँच दीपक पाँच जगह पर, पाँच दिशाओं में रखे देखे, जिसे अहिरावण ने माँ भवानी की पूजा के लिए जलाया था।
ऐसी मान्यता थी कि इन पाँचों दीपकों को एक साथ बुझाने पर अहिरावण का वध हो जायेगा|
इसके लिए हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया:
- पूर्व: वराह (विष्णु का अवतार)
- पश्चिम: गरुड़ (विष्णु का वाहन)
- उत्तर: हनुमान (मूल स्वरूप)
- दक्षिण: नरसिंह (विष्णु का उग्र अवतार)
- ऊर्ध्व: हयग्रीव (ज्ञान के देवता)
हनुमान जी ने इसी कारण पंचमुखी अवतार धर कर, पांचो दीपक बुझा दिए| और अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण को कंधों पर बैठा कर लंका की ओर उड़ चले।

अध्याय 2: पांच मुखों का रहस्य – प्रत्येक मुख की शक्ति और प्रभाव
पंचमुखी हनुमान का प्रत्येक मुख एक दिशा, देवता, तत्व, और शक्ति का प्रतीक है। यहाँ है विस्तृत विवरण:
मुख | दिशा | देवता | तत्व | विशेषता |
---|---|---|---|---|
हनुमान | उत्तर | स्वयं हनुमान | वायु | भक्ति, सेवाभाव और निष्ठा का प्रतीक। इस मुख की ज्वाला करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी है। |
नरसिंह | दक्षिण | भगवान नरसिंह | अग्नि | शत्रुओं का संहार करने वाला उग्र रूप। यह भयभीतों को शांति देता है। |
गरुड़ | पश्चिम | गरुड़ | आकाश | नागों के विष, भूत-प्रेत, और नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है। टेढ़ी चोंच वाला यह मुख रोगों को दूर करता है। |
वराह | पूर्व | भगवान वराह | पृथ्वी | समृद्धि और स्थिरता प्रदान करता है। कृष्ण वर्ण वाला यह मुख पाताल के जीवों के भय को मिटाता है। |
हयग्रीव | ऊर्ध्व | हयग्रीव | जल | ज्ञान, मोक्ष और असुरों के संहार का प्रतीक। इसी मुख से तारक नामक दैत्य का वध हुआ था। |
रोचक तथ्य:
- पंचमुखी हनुमान की प्रतिमाओं में दस भुजाएँ होती हैं, जो दस दिशाओं पर नियंत्रण दर्शाती हैं।
- यह रूप पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का संतुलन बनाए रखता है।
- हयग्रीव मुख वाले हनुमानजी की उपासना से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।
अध्याय 3: पंचमुखी हनुमान की पूजा – विधि, महत्व और चमत्कारी प्रभाव
क्यों है यह रूप सर्वश्रेष्ठ?
- सर्वांगीण सुरक्षा: पाँचों दिशाओं की रक्षा करने के कारण इनकी पूजा से घर में कभी नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती।
- संकटों का निवारण: शनि दोष, काले जादू, और भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए यह स्वरूप अद्वितीय माना गया है।
- जीवन में सफलता: वराह मुख धन-धान्य बढ़ाता है, जबकि हयग्रीव मुख विद्या प्रदान करता है।
पूजा की सरल विधि:
- मंत्र जाप:
- “ॐ पंचवदनाय पंचहस्ताय पंचप्राणात्मने नमः”
- “ॐ हं हनुमते नमः”
- सामग्री: लाल फूल, गुड़, चमेली का तेल, और केसर अर्पित करें।
- विशेष दिन: मंगलवार या शनिवार को व्रत रखकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- ध्यान: पंचमुखी हनुमान के प्रत्येक मुख की शक्ति का ध्यान करें।
अध्याय 4: भारत के प्रसिद्ध पंचमुखी हनुमान मंदिर – दर्शन से मिलती है विशेष कृपा
- श्री पंचमुख अन्जनेयर मंदिर, तमिलनाडु:
- यहाँ हनुमानजी की 20 फीट ऊँची स्वर्णाभूषित प्रतिमा है, जिसके पाँच मुखों में दिव्य तेज समाया है।
- पंचमुखी हनुमान मंदिर, कर्नाटक:
- एक ही पत्थर से तराशी गई मूर्ति, जिसमें हनुमानजी के हाथों में गदा, तलवार, और अभय मुद्रा दिखाई देती है।
- रामटेक मंदिर, महाराष्ट्र:
- मान्यता है कि तुलसीदासजी ने यहाँ पंचमुखी हनुमान की कृपा से रामचरितमानस की रचना की थी।

अध्याय 5: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. पंचमुखी हनुमान की पूजा किसे करनी चाहिए?
- जो लोग आत्मविश्वास की कमी, आर्थिक संकट, या भय से ग्रस्त हैं, वे इस रूप की उपासना करें।
Q2. क्या घर में पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाना शुभ है?
- हाँ! इसे मुख्य द्वार के सामने या पूजा कक्ष में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
Q3. पंचमुखी हनुमान और शिवजी के पंचमुखी स्वरूप में क्या संबंध है?
- हनुमानजी शिव के अंशावतार हैं, इसलिए उनका यह रूप शिव के पंचमुखी तत्वों (तत्पुरुष, सदोजात्य, आदि) को प्रतिबिंबित करता है।
समापन: जीवन की हर चुनौती का समाधान है पंचमुखी हनुमान
पंचमुखी हनुमान का रूप केवल एक आध्यात्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन के हर संघर्ष में विजय का मंत्र है। चाहे शत्रु बाधा हो, धन की कमी हो, या ज्ञान की खोज—इस स्वरूप की उपासना आपको साहस, सुरक्षा, और सफलता प्रदान करेगी।
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